अद्वैत

Narendra Rawat इक ॐकार ऊर्जा तरंगित, असीम व्योम में विस्तार। सुखी रहे मनु,यदि बोध हो, दूजे में वही ऊर्जा संचार।। एक परम तत्व रचा जगत, जिसका कण-पिंड संसार। निर्भय रहे सदा, यदि जानो, दूसरे में भी तुम हो सखार।। एकाकी आत्मा हुई व्यापक, सत् रूप ब्रह्माडं बृहदाकार। सर्वाभिमान दे परम सम्मान, यदि मिटे स्व का …

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