दृष्टि
सत्ये सर्वं प्रतिष्ठतमं।
इस जगत में सत्य ही सर्वत्र प्रतिष्ठित है। सत्य ही ईश्वर है, सत्य ही ब्रह्म है, सत्य ही परमात्मा है, तथा सत्य से बढ़कर कोई दूसरा ईश्वर नहीं। लेकिन हम इस बात को ना तो समझना चाहते हैं और ना स्वीकार करना।
सचेतना प्रगति संघ की स्थापना समाज में द्वैत भाव को देखकर उत्पन्न हुई है। हर तरफ संघर्ष और द्वेष का भाव गहराता जा रहा है कोई भी व्यक्ति, परिवार, समाज व राष्ट्र इससे अछूता नहीं है। सत्य को जानते हुए भी सत्य को कोई मानना ही नहीं चाहता। जबकि सत्य यही है कि हम सब एक ही परमपिता की संतान हैं और उसी का अंश हैं।
ईशावास्यमिदं सर्वं यत्किञ्च जगत्यां जगत्।
इस संपूर्ण जगत में वह ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। कण-कण में उसकी उपस्थिति हम अनुभव कर सकते हैं।
हम सबके भीतर वही परमपिता आत्मा के रूप में विद्यमान है। जब आत्मिक रूप से हम में कोई भी भेद नहीं तो क्यों हम अपने भौतिक स्वरूप के कारण एक-दूसरे के साथ भेद करते हैं? संघर्ष करते हैं। विद्वेष रखते हैं। इसी द्वेष भावना के कारण समाज में हर व्यक्ति एक दूसरे से कटता चला जा रहा है। एक दूसरे के हितों का रक्षण करने के बजाय एक दूसरे के हितों का भक्षण करता जा रहा है। जिस कारण समाज में एक अव्यवस्थित वातावरण बन गया है और इस अव्यवस्थित वातावरण में व्यक्ति को वह सब प्राप्त नहीं हो पा रहा जो उसके जीवन यापन के लिए अत्यंत आवश्यक है।
इसीलिए सचेतना प्रगति संघ ने अपना अद्वैत सिद्धांतों का अस्तित्व निर्मित करने हेतु कदम बढ़ाया ताकि समाज में अद्वैत रूपी सनातन सिद्धांतो की स्थापना हो सके। समाज में एक आत्मा रूपी ईश्वर की अनुभूति सब महसूस कर सकें।
सचेतना प्रगति संघ के उद्देश्यों में सर्वोपरि है अद्वैत दर्शन आधारित सनातन सिद्धांतों की प्रतिष्ठा हेतु कार्य करना और इसके लिए हम निरंतर संलग्न है और संकल्पित हैं। अद्वैत सनातन सिद्धांतों और सचेतना प्रगति संघ के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए निरंतर नित नवीन सृजन किया जा रहा है। नवीन कार्य योजना बनाई जा रही है। जिसके तहत शिक्षा के लिए सचेतना प्रगति संघ निरंतर नवीन कार्य योजना पर कार्य कर रही है।
शिक्षा हर व्यक्ति का प्रथम और मूल अधिकार है और यह प्रत्येक व्यक्ति तक अनिवार्य एवं अबाध्य रूप से पहुंचनी ही चाहिए। जब समाज शिक्षित होगा तभी समाज का विकास भी संभव है। परिवार को समाज की सबसे छोटी इकाई माना गया है। कहते हैं जब परिवार में एक स्त्री पर पढ़लिख जाती है तो वह पूरा परिवार ही शिक्षित हो जाता है। तो सोचिए अगर एक स्त्री के पढ़ने से पूरा परिवार शिक्षित हो सकता है तो जब सभी लोग शिक्षित हो जाएंगे तो इस समाज की उन्नति कितनी व्यापक होगी, इसकी हम सिर्फ कल्पना ही कर सकते हैं।
इसलिए सचेतना प्रगति संघ शिक्षा के इस अभियान को सफल बनाने हेतु कार्यरत है और अति शीघ्र धरातल पर इस प्रतिष्ठित करके शिक्षा के क्षेत्र में अपनी स्वर्णिम उपस्थिति दर्ज करने में सफल होगा।
इस अभियान में आप सब हम सबके साथ मिलकर चलें। निश्चित रूप से हम अपने उद्देश्यों को अवश्य प्राप्त कर लेंगे।
हमारा संकल्प इतना ऊंचा होना चाहिए कि वह ईश्वर हमसे आकर कहे:-
खुद ही को कर बुलंद इतना कि हर तदवीर से पहले खुदा बंदे से खुद पूछे, बता तेरी रजा क्या है?