Sachetna

स्वास्थ्य

गीता में श्रीकृष्ण और अर्जुन से जुड़ा एक श्लोक है-

युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु। युक्तस्वप्नाव बोधस्य योगो भवति दु:ख।।

कालांतर में इसमें से ‘युक्ताहारविहारस्य पद्धति को आयुर्वेद में अपनाया गया। यानी युक्त आहार और विहार से शरीर के सभी प्रकार के रोग दूर हो सकते हैं फिर चाहे वे मानसिक हों या शारीरिक।

यही हमारे सनातन की खूबसूरती है कि हमारे सनातन में जीवन के हर पहलू को बड़े ही सुंदर तरीके से विस्तार पूर्वक समझाया गया है। लेकिन अज्ञानतावश हम इन बातों को ना तो पढ़ते हैं और ना अपने जीवन में इनका अनुसरण ही करते हैं।

स्वास्थ्य व्यक्ति का एक ऐसा धन है जो यदि एक बार गिर जाए तो फिर गिरता ही चला जाता है। स्वास्थ्य की हानि व्यक्ति की सबसे बड़ी हानि है।

एक स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन निवास करता है। यह बात बिल्कुल सत्य है। क्योंकि जब हमारा शरीर स्वस्थ होगा तभी हम उत्कृष्ट बातों को सोच सकेंगे और इस समाज के निर्माण में अपना सहयोग प्रदान कर सकेंगे।

हमने देखा है कि हमारे समाज में हम लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति ध्यान नहीं देते। चाहे वह हमारा आहार विहार हो या हमारा व्यायाम उपचार या योग प्राणायाम हो।

इसी दिशा में सचेतना प्रगति संघ निरंतर आगे बढ़कर कार्य कर रहा है। लोगों को हम अपने विभिन्न साधनों के द्वारा जानकारी प्रदान कर रहे हैं की एक अच्छा स्वास्थ्य किस तरह से प्राप्त किया जा सकता है। अच्छा खान-पान हमारे शरीर के लिए बहुत अधिक आवश्यक है जिससे हमारा शरीर स्वस्थ रह सके।

सचेतना प्रगति संघ ने सचेतना अतुल्य आत्मयोग की शुरुआत कर इस दिशा में अपना प्रयास प्रारंभ कर दिया है। प्रतिदिन सुबह 05:45 से 7:00 बजे सचेतना अतुल्य आत्मयोग के साथ जुड़कर सभी साधक अपने स्वास्थ्य को लाभ प्रदान करने हेतु नियमित योग कर रहे हैं। साथ ही एक्सपर्टस द्वारा वात पित एवं कफ का संतुलन बनाये रखने के लिए आयुर्वेदिक नुस्खे के तहत संतुलित भोजन के सेवन का परामर्श लोगों को प्रदान किया जा रहा है जिससे शरीर में प्रोटीन, वसा, कार्ब, फाइबर, बिटामिंस आदि का संतुलन बना रहे। अच्छा स्वास्थ्य हमारे आहार -विहार, शिक्षण -प्रशिक्षण, आचार-व्यवहार और योग-प्राणायाम द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।
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